‘भारत’ और ‘इंग्लैंड’ का वो मुकाबला जब भारत को पहली जीत दिलाने के लिए मैदान में लाया गया था हाथी


भारत को ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ साल 1971 में पहली जीत मिली। ये जीत बेहद ऐतिहासिक थी। इसी के साथ इस मुकाबले से एक रोचक किस्सा भी जुड़ा है, जिसे खुद पूर्व क्रिकेटर फारुख इंजीनियर ने साझा किया है। फारुख इंजीनियर ने बताया कि उस मैच में भारतीय फैंस चेसिंगटन चिड़ियाघर से एक हाथी उधार लेकर मैदान पर आए थे। इन फैंस का मानना था कि वह हाथी भारतीय टीम के लिए भाग्य लायेगा।

अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने पहली बार साल 1971 में इंग्लैड में टेस्ट सीरीज जीती थी और संयोग से उस दिन गणेश चतुर्थी भी थी। भारत तो यह ऐतिहासिक जीत ओवल में मिली थी। मैच में भारतीय फैंस चेसिंगटन चिड़ियाघर से एक हाथी लेकर मैदान पर आए थे। उनका मानना था कि हाथी भारतीय टीम के लिए जीत का द्वार खोलेगा।मालूम हो कि भगवान गणेश को बाधाओं को दूर करने के रूप में भी जाना जाता है। हुआ भी कुछ ऐसा ही।भारत और सभी भारतीयों के लिए यह दिन ऐतिहासिक बन गया।

जब हाथी मैदान पर आया तो ये शुभ कैसे हो गया

हालांकि मैदान के बीच जब बेला हाथी को मैदान पर लाया गया तो भारतीय टीम ने इस बात को अपने लिए शुभ के तौर पर लिया। टीम इससे और उत्साहित हो गई। इसके बारे में तत्कालीन कप्तान अजीत वाडेकर ने कहा कि तब टीम मैनेजर हेमू अधिकारी को भी लगा था कि इतने खास दिन हाथी का आना टीम केलिए बहुत शुभ था। टीम को यही लगा कि गणेश चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश खुद टीम को सौभाग्य बनकर उनके सामने आए हैं।

गणेश चतुर्थी का था दिन

जानकारी के अनुसार, उस दिन गणेश चतुर्थी का दिन था और भगवान गणेश के रूप में हाथी को लाया गया था। भारतीय टीम के फ़ैन्स का ऐसा मानना था कि भगवान गणेश के आशीर्वाद से भारतीय टीम जीत जाएगी। वहीं, हैरान कर देने वाली बात ये है इस टेस्ट सीरीज़ में भारतीय टीम में ऐतहासिक जीत दर्ज की। हाथी को मैदान में लाने की घटना ने इस मैच को और ऐतिहासिक बनाने का काम किया, क्योंकि अपने में एकमात्र ऐसी घटना है।

चंद्रशेखर ने पलट दिया था वो टेस्ट

आखिरी टेस्ट में इंग्लैंड ने 355 रन बनाए और फिर भारत ने इसके जवाब में 284 रन बनाए। दूसरी पारी में स्पिनर चंद्रशेखर ने पासा ही पलट दिया। उन्होंने 38 रन देकर 06 विकेट लिया और इंग्लैंड की टीम त्राहि त्राहि करने लगी। दरअसल बचपन से चंद्रशेखर का एक हाथ पोलियोग्रस्त हो गया था लेकिन इसके बाद भी उन्होंने बॉलर बनकर दिखाया। अपने उसी हाथ से वो ऐसी भऱमाने वाली गूगली गेंदें फेंकते थे कि विपक्षी टीम उसको भांप नहीं पाती थी। दूसरे उनकी गेंदबाजी की एक खासियत ये भी थी कि वो बहुत तेज गेंद कराते थे। स्पिनर होने के बाद भी उनकी स्पीड अच्छी खासी थी।