जानिए कैसे IIT से IPS के शिखर तक पहुंचे विनय तिवारी, सक्सेस के पीछे रहा पिता का हाथ


पढ़ने का शौक नहीं था, पढ़ाई शुरू तो मजबूरी में की थी। आर्थिक सुरक्षा की गारंटी पढ़ाई में दिखी थी। लगता था जैसे निश्चिंत हो जाऊंगा, पर मन की शांति सिर्फ अर्थ से नहीं आती अपितु अर्थ से तो नहीं ही आएगी यह निश्चित है। मजबूरी भी शौक को जन्म देती है। आज हम आपको बताते हैं आखिर विनय तिवारी हैं कौन और एक इंजीनियर बनते-बनते पुलिस अधिकारी कैसे बन गए।

विनय तिवारी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के भैलवारा रहने वाले हैं। ये जिला बुंदेलखंड में आता है। जो सूखे लिए जाना जाता है। उनके पिता किसान थे। जिनसे उन्होंने संघर्ष कराना सिखाया। उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर से 8वीं तक की पढ़ाई की। फिर ललितपुर सरकारी स्कूल से 9 और 10 वीं पढ़ाई की। इसके बाद मध्य प्रदेश के चंदेरी से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की।

IIT की तैयारी करने बुंदेलखंड के कोटा पहुंचे

12वीं की परीक्षा पास करने के बाद पिता चाहते थे कि इंजीनियरिंग करे, इसकी तैयारी के लिए उन्हें कोटा भेज दिया गया। जहां उन्होंने IIT की तैयारी की। 12वीं तक उन्होंने हिंदी माध्यम में पढ़ाई की थी। विनय तिवारी कहते हैं कि उनके पिताजी हर 40-50 दिन के बाद दामोदर एक्सप्रेस पकड़कर कोटा आ जाते थे और देखते थे कि मेरी तैयारी कैसी चल रही है।

2008 में IIT JEE क्रैक कर 2012 में IIT से B.TEC पास

करीब दो साल की कड़ी मेहनत के बाद विनय तिवारी ने साल 2008 में IIT JEE को क्रैक किया। उन्होंने ऑल इंडिया में 4037 वां रैंक हासिल किया। जिसके बाद उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग चुना और BHU IIT में उनका दाखिला हुआ। उनका कहना है कि वाराणसी ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने 2012 में IIT से B.TEC की परीक्षा पास की।

पिता के सपने को पूरा करने में लगाई जी जान लेकिन मैन्स में हुए फेल

IIT करने बाद वो चाहते थे कि नौकरी करें, क्योंकि उनके पिता किसान थे कर्ज लेकर पढ़ाया था। लेकिन पिताजी का सपना था कि वो सिविल सेवा में जाएं। विनय तिवारी बताते हैं कि IIT करने के बाद वो सिविल सेवा की तैयारी के लिए दिल्ली आए लेकिन वहां डेंगू की मार से डरकर वापस अपने गांव चले गए। साल 2013 में उन्होंने सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा पास की। लेकिन मैन्स यानि मुख्य परीक्षा में फेल हो गए

पिता की सिख से मिली प्रेरणा

विनय तिवारी अब हार चुके थे, वो सिविल सेवा में नहीं जाना चाहते थे। अब वो चाह रहे थे कि इंजीनियरिंग सर्विस में जाकर पैसे कमाऊं। लेकिन उनकी पापा की सीख ने उन्हें हार नहीं मानने दिया। उनके पापा कहते थे ‘छोड़ो इसको जाने दो, आगे बढ़ते जाओ, मेहनत करते जाओ, कुछ अच्छा ही मिलेगा। और हां! इससे कम तो कभी नहीं मिलेगा। इस लायक तो तुम हमेशा हो।’

दूसरे अटेम्प्ट में निकल क्रैक किया UPSC एग्जाम

UPSC की पहली कोशिश में नाकाम हुए, पिता ने फिर उन्हें संबल दिया। पापा ने कहा – ‘देखो त्याग करोगे तो अच्छा पाओगे। सपना देखा है तो उसको पूरा करने का प्रयास पूरे मन से करो। उन्होंने तैयारी जारी रखते हुए पूरी कोशिश से दूसरी बार UPSC की परीक्षा दी और इस बार कामयाबी हाथ लगी। हालांकि दूसरी बार के लिए गणित विषय को छोड़कर विनय ने सिविल इंजीनियरिंग का पेपर चुना। विनय कहते हैं कि उन्होंने अपने सीनियर त्रिलोक सर से प्रभावित होकर सिविल इंजीनियरिंग का चयन किया था।

2014 में IPS बन पिता का सपना साकार किया

साल 2014 में UPSC द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में विनय तिवारी को 193वां स्थान हासिल हुआ और उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा के लिए हुआ। उन्होंने कहा कि इंटरव्यू के दिन वो काफी डरे हुए थे, लेकिन पिता की सीख हमेशा याद थी। और दूसरा उनका चयन इंजीनियरिंग सेवा में हुआ था जिसमें उनका रैंक 50 वां था, जिससे हिम्मत मिला।

रैंक सुनके पिता के आंखो से छलके खुशी के आंसू

4 जुलाई 2015 के दिन के करीब 1 बजे मैंने फोन किया, अनावश्यक समय पर अनावश्यक बात करने के लिए पापा को फोन लगाने की हिम्मत कभी नहीं हुई। पर पापा समझ गए थे, फोन उठाते ही बोले कितनी रैंक आई? चयनित सूची में नाम देख कर अभी तक सुन्न ही था कि पापा के सवाल ने और सुन्न कर दिया – ‘आपको पता है पापा?’ , ‘हाँ! बस रैंक बताओ।’, ‘193 आई।’, ‘खुश रहो। घर आओ।’ सबके आंखों में आंसू थे। वो आँसू उस संघर्ष के थे, जो उन्होंने अपने पूरे जीवन में किया था, सिर्फ इसलिए कि हम अच्छे इंसान बन सकें। उन्हें अब आशा थी, देश की इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा में सफल हुआ है तो जीवन की बाकी परीक्षाएँ भी लड़ ही लेगा।